गुलामी तो हम सिफॅ अपने माँ-बाप की करते हैं.............वरना दुनिया के लिए तो हम कल भी "बादशाह" थे और आज भी....!!
"अगर दे तू अपने हुस्न की तारीफ का एक मौका मुझे" ..... "तेरी जान की कसम पूरी मेहफिल को तेरा दीवाना न करदु तो लानत हे मेरी सायरी पर"।।
हम बादशाहो के बादशाह हे इसलीए
गुलामो जेसी हरकते नही,पैसै पर
फोटो हमारा भी हो सकता पर
लोगो की जेब मे
रहना हमारी फीतरत नही
It’s easy to find someone who says "I love
you" to you. But it’s hard to find someone who
really means it...
कर जिद अपनी हद में रह ए दिल, ......वो बड़े लोग हैं अपनी मर्ज़ी से याद करते है..
अगर दुनियाँ बेहतरीन जगह होती...तो यहाँ कोई रोता हुआ पैदा नहीँ होता.,..
समुन्दर की ख़ामोशी,
उसकी गहराई
बताती है,दोस्तों की कमी,
अपनी तन्हाई बताती है,
वैसे तो दोस्त हमेशा प्यारे होते हैं,पर
उनकी कीमत उनकी जुदाई
बताती है.।।।
खुदा तू किसी से मौहब्बत ना करना ये तू सह
नहीं पायेगा।।।।... हम तो मर के तेरे पास आते हैं तू
कहाँ जायेगा।
साले शेर कुछ दिनों घुमने क्या निकला
सारे जानवरों ने वहा हुकूमत
ही जमा डाली
Be Maut Mr Gaye dono
Main Or Meri Khwahise.......
जब उसने हम से कहा तुम्हारे दोस्त अच्छे नहीं..
तब हम थोड़ा मुस्कुराय और कहा..
पगली तेरी इतनी तो ओकात
नहीं की तु मेरे
दोस्तों की ओकात बताये..
त॓रा_रुप भले ही लाखो मे एक हो
पर मेरा कमिना पन करोडो मे एक हे
कौन कहता है "पैसा" सबकुछ खरीद
सकता है...!
"दम" है तो टूटे हुए "विश्वास" को पाकर दिखाए...
ईस शहर की हवा तक हमारे खिलाफ
नहि चल सकती...!
तो फिर दूश्मन कि हैसीयत
ही क्या है...
माना कि तुम्हारा नाम सुनते ही नशा चढ जाता हैँ,लेकिन
हम भी वो हे जिनका नाम
सुनते ही अच्छे अच्छोँ का नशा उतर जाता हैँ।।।।
चलो आज चक्कर लगाने जाते है दुश्मन
की गली में,
देखते है अपने दिल की धड़कने तेज
होती है या दुश्मन की....
बहुत कुछ सीखा जाती है
जिदंगी !! हस के रुला जाती हैं
जिंदगी !! जि सको जितना ऊतना जिलो दोस्तो!! क्यू
की बहुत कुछ बाकी रह जाता है!!और
खतम हो जाती हैं जिंदगी
Bhahut roya tha jab mera janam hua tha,
Aur Hans rahi thi ye Duniya,
magar Doston Ek Din Badala lunga,
Hansta hua jaunga aur Royegi ye Duniya…
बादशाह तो मै
कही का भी बन सकता था लेकिन
तेरे दिल की नगरी मे हूकुमत करने
का मजा ही कूछ अलग है
मेरे दुश्मन भी, मेरे मुरीद हैं शायद,
वक़्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं ,
मेरी गली से गुज़रते हैं छुपा के खंजर,
रु-ब-रु होने पर सलाम किया करते हैं !
पानी में तैरना सीख ले मेरे दोस्त,
आँखों में डूबने वालों का
अंजाम बुरा होता है !!
बुजदील_हम_नही_जो_पीछे_से_वार_करतेै है अरे हम _तो_
वो__है_जो_शेर_को_भी_जगा_कर_शिकार_करते_है
बड़ी गुस्ताख है तुम्हारी याद इसे
तमीज सिखा दो,
दस्तक भी नहीं देती और
दिल में उतर जाती है...
हर नजर को एक निगाह का हक है
हर नूर को एक आह का हक है
हम भी दिल लेकर आये है इस दुनिया में
हमे भी तो एक गुनाह का हक ह
वक़्त को देखकर कोई "राय" मत देना,क्योंकि जब मेरा वक़्त
बदलेगा,तब तुम्हारी "राय"
भी बदलेगी
रियासते तो आती जाती रहती हे,
मगर बादशाही करना तो..
आज भी लोग हमसे सीखते हे ।।
खेल ताश का हो या जिंदगी का ,
अपना इक्का तब ही दिखाना
जब सामने बादशाह हो ।
तुम गरदन जुकाने की बात करते हो ,
हम वौ है जो आंख उठाने वालो
की गरदन पऱसाद मै बाट देते है..।।
शायरी का बादशाह हुं और कलम मेरी रानी,
अल्फाज़ मेरे गुलाम है, बाकी रब की महेरबानी ।
हथियार तो सिर्फ सोंख के लिए रखा करते हे ,
खौफ के लिए तो बस नाम ही काफी हे ।
अकल कितनी भी तेज ह़ो
नसीब के बिना नही जित सकती ,
बिरबल काफी अकलमंद होने के बावजूद..
कभी बादशाह नही बन सका ।
मेरे लफ्जों से न कर मेरे किरदार का फेसला ,
तेरा वजूद मिट जाएगा मेरी हकीकत
ढूंढते ढूंढते !
जी भर गया है तो बता दो
हमें इनकार पसंद है इंतजार नहीं…!
जनाब मत पूछिए हद
हमारी गुस्ताखियों की ,
हम आईना ज़मीं पर रखकर
आसमां कुचल दिया करते है ।
इतना भी गुमान न कर
आपनी जीत पर ” ऐ
बेखबर “
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे
तो मेरी हार के
हैं।….।।
मुझमे खामीया बहुत
सी होगी मगर,
एक खूबी भी है…
मे कीसी से
रीश्ता मतलब के लीये
नही रखता.
खून अभी वो ही है
ना ही शोक बदले
ना ही जूनून,
सून लो फिर से,
रियासते गयी है
रूतबा नही,
रौब ओर खोफ आज
भी वही हें |
जीत हासिल
करनी हो तो काबिलियत बढाओ,
किस्मत
की रोटी तो कुत्तेको भी नसीब
होती है.!!
हम उस ऊंचाई पर हे
जहा तुम्हारे सर से ज्यादा उंचाई पर
हमारे पांव रहते हे ।
तेरे ही नाम से ज़ाना जाता हूं मैं,
ना जाने ये ” शोहरत” है या “बदनामी”…
बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं..
अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने
नही देती…!!
तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर
ख्याल रखना;
हम ‘जान’ दे देते हैं मगर ‘जाने’
नहीं देते !!
इसी बात से लगा लेना मेरी शोहरत का अन्दाजा…
वो मुझे सलाम करते है, जिन्हे तु सलाम
करता हैं !!
वो मंज़िल ही बदनसीब
थी जो हमें पा ना सकी,
….
वरना जीत
की क्या औकात जो हमें ठुकरा दे ।
तेरे बिना में ये दुनिया छोड तो दूं ,
पर उसका दिल कैसे दुखा दुं ,
जो रोज दरवाजे पर
खडी केहती हे ;
“बेटा घर जल्दी आ जाना “