(1)
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी से हर चीज़ मिली…. मगर उनके बाद ज़िन्दगी न मिली॥
(2)
तेरा नाम था आज किसी अजनबी की जुबान पे… बात तो जरा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया…
(3)
ये दिल भी कितना पागल है…हमेशा उसी की फिकर मे डुबा रहता है जो इसका होता ही नही है…
(4)
कितना कुछ जानता होगा वो शख्स मेरे बारे में, मेरे मुस्कुराने पर भी जिसने पूछ लिया की तुम उदास क्यों हो..
(5)
कभी फुर्सत मिले तो सोचना जरूर, एक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता था…!!!
(6)
मेरी यादों की कश्ती उस समुन्दर में तैरती है, जहाँ पानी सिर्फ और सिर्फ मेरी पलकों का होता है..!
(7)
तक़दीर ने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम.. बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम.. किसी ने विश्वास तोडा तो कभी किसी ने दिल और लोगो को लगता है की बदल गए हम..
(8)
तुम्हारे हुसन कि तारीफ़ करने वाले और भी है लकिन हम तारीफ़ नहीं तुम्से प्यार करते थे बस तुम ही समझ न पाई
(9)
काश ये दिल बेजान होता ,ना किसी के आने से धडकता ना किसी के जाने पर तडपता
(10)
जाता हुआ मौसम लौटकर आया है..काश वो भी कोशिश करके देखे…!!
(11)
तेरे बाद हमने दिल का दरवाजा खोला ही नही.. वरना बहुत से चाँद आए इस घर को सजाने के लिए
(12)
मुझें छोड़कर वो खुश हैं, तो शिकायत कैसी.. अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं तो मोहब्बत कैसी..
(13)
काश तेरी याद़ों का खज़ाना बेच पाते हम.. हमारी भी गिनती आज अमीरों में होती ।
(14)
अब शिकायतेँ तुम से नहीँ खुद से है.. माना के सारे झूठ तेरे थे.. लेकिन उन पर यकिन तो मेरा था!!
(15)
रंग तेरी यादो का ना उतरा अब तक.. लाख बार खुद को आँसुओ से धोया हमने..
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी से हर चीज़ मिली…. मगर उनके बाद ज़िन्दगी न मिली॥
(2)
तेरा नाम था आज किसी अजनबी की जुबान पे… बात तो जरा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया…
(3)
ये दिल भी कितना पागल है…हमेशा उसी की फिकर मे डुबा रहता है जो इसका होता ही नही है…
(4)
कितना कुछ जानता होगा वो शख्स मेरे बारे में, मेरे मुस्कुराने पर भी जिसने पूछ लिया की तुम उदास क्यों हो..
(5)
कभी फुर्सत मिले तो सोचना जरूर, एक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता था…!!!
(6)
मेरी यादों की कश्ती उस समुन्दर में तैरती है, जहाँ पानी सिर्फ और सिर्फ मेरी पलकों का होता है..!
(7)
तक़दीर ने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम.. बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम.. किसी ने विश्वास तोडा तो कभी किसी ने दिल और लोगो को लगता है की बदल गए हम..
(8)
तुम्हारे हुसन कि तारीफ़ करने वाले और भी है लकिन हम तारीफ़ नहीं तुम्से प्यार करते थे बस तुम ही समझ न पाई
(9)
काश ये दिल बेजान होता ,ना किसी के आने से धडकता ना किसी के जाने पर तडपता
(10)
जाता हुआ मौसम लौटकर आया है..काश वो भी कोशिश करके देखे…!!
(11)
तेरे बाद हमने दिल का दरवाजा खोला ही नही.. वरना बहुत से चाँद आए इस घर को सजाने के लिए
(12)
मुझें छोड़कर वो खुश हैं, तो शिकायत कैसी.. अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं तो मोहब्बत कैसी..
(13)
काश तेरी याद़ों का खज़ाना बेच पाते हम.. हमारी भी गिनती आज अमीरों में होती ।
(14)
अब शिकायतेँ तुम से नहीँ खुद से है.. माना के सारे झूठ तेरे थे.. लेकिन उन पर यकिन तो मेरा था!!
(15)
रंग तेरी यादो का ना उतरा अब तक.. लाख बार खुद को आँसुओ से धोया हमने..
No comments:
Post a Comment
hey khan's your website is superb and i like this post from this site.